Mera astitva
Mera astitva

मेरा अस्तित्व मेरी पहचान

( Mera astitva meri pehchaan )

 

मेरा अस्तित्व मेरी पहचान,
मेरा विश्वास मेरा अभिमान।
मेरी हिम्मत हौसलों से डरते,
बाधाएं आंधी और तूफान।

मेरी धडकनें मेरी जान,
सत्य सादगी है ईमान।
मेरी कलम लिखती सदा,
देश भक्ति स्वर राष्ट्रगान।

मेरी सोच मेरे मन विचार,
अपनापन और सदाचार।
मेरे शब्दों में बहती रहती,
मधुर भावों की रसधार।

मेरा पता वही मेरा ठिकाना,
दिलों में बसा दिल का दीवाना।
ढूंढता रहता हूं हरदम बस यूं,
तेरे चेहरे का यूं ही मुस्कुराना।

मेरी कलम मेरी कविता,
शून्य सा हूं भावों से रीता।
शारदे भवानी भर दो झोली,
शब्दों से मां पावन पुनीता।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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