Laghu Katha Ladke ka bhavishya
Laghu Katha Ladke ka bhavishya

एक बार की बात है । एक ग्रामीण औरत अपने 13 साल के लड़के को शहर के प्रसिद्ध ज्योतिष के पास लेकर गई ।
औरत : पंडित जी ! यह मेरा इकलौता लड़का है मुझे हर समय इसके भविष्य की बड़ी चिंता रहती है।
(पंडित जी लड़के का हाथ देखते हैं।)
पंडित जी : वाह बहनजी ! आपके बच्चे का तो बड़ा उज्जवल भविष्य है ।
औरत : अच्छा पंडित जी !(ख़ुशी से)
पंडित जी : क्या आपका लड़का बात-बात पर झूठ बोलता है ?..
औरत : हाँ पंडित जी !…बड़ी-बड़ी फेंकता भी है !
पंडित जी : क्या ज़रूरत के समय ये खाने-पीने का  सामान व अन्य चीज़े छिपा देता है।
औरत : जी बिल्कुल… और उनको ढूँढकर लाने के अलग से पैसे माँगता है या फिर खुद की तारीफ़ करने के लिए बोलता है !
पंडित जी : जब आप इसे ₹100 का सामान लाने भेजती है तो यह ₹70 का सामान लाकर ₹30 खु़द रख लेता है या अपने दोस्तों को खिला देता है ।
औरत : 30 नहीं कभी-कभी तो 40-50 भी…(वह हाथ जोड़ लेती है) क्या आपके भी कभी गबन करे हैं-इसने
पंडित जी : इसे नए-नए कपड़े पहनने और बार-बार फोटो खिंचवाने का शौक है ।
औरत : सत् वचन पंडित जी ! आप तो साक्षात भगवान हो !…( उसके आगे हाथ जोड़ पुनः प्रणाम करती है)
वो सब तो ठीक है महाराज परंतु यह बड़ा होकर क्या बनेगा ?…

पंडित जी : (थोड़ा सोचकर) यह बालक बड़ा होकर ज़रूर दुनियाँ के किसी महान् लोकतांत्रिक देश में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री बनेगा ।

(इतना सुनते ही वह औरत पंडित जी के चरणों में नतमस्तक हो गई।)

कवि : संदीप कटारिया

(करनाल ,हरियाणा)

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