तुम्हें मनाने आया हूं | Prarthana
तुम्हें मनाने आया हूं
( Tumhe manane aaya hun )
दीन दयाल दया के सागर
तुम्हें मनाने आया हूं
शब्दों के मोती चुनकर
फूल चढ़ाने लाया हूं
हे जग के करतार सुनो
केशव माधव दातार सुनो
करुणा के सागर आप प्रभु
अब दीनों की पुकार सुनो
कुछ चमत्कार हरि कर दो
दूर करो नाथ महामारी
संकट के बादल छांट सांवरे
कर जोड़ खड़ी दुनिया सारी
अभय दान देने वाले
जीवन रक्षक हे बनवारी
जन संघर्षों में साहस भरो
आकर साथ दो गिरधारी
घट घट भगीरथी गंगा सा
निर्मल कर दो पावन प्रभु
बरसते तूफानों को आप
कर दो मधुर सावन प्रभु
मानवता अब खतरे में
संस्कारों मे नेह भरो
घट घट प्रेम पलता रहे
हृदय प्रभु निवास करो
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )