15th Pattontsav Day of Acharyashri Mahashramanji

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का 15 वां पट्टोंत्सव दिवस

 

धर्म की ज्योति जला ले हम ।
साधना पथ पर निरंतर कदम बढ़ाएं हम ।
ज्ञान को पुष्ट कर ले हम ।
धर्म से मन सदा बंधा रहे ।
लक्ष्य से इधर – उधर ना भटके ।
दुनिया की चकाचौंध में न फँसे ।
मोहक विषयों में न उलझे ।
कही कभी न यह अटके ।
ग्रंथि विमोचन सारतत्व है ।
सोई शक्ति जगाएं हम ।
धर्म की ज्योति जला ले हम ।
अहं रूपी दुर्भेद दीवार को ना बनाये ।
जो बनी है उसको अब हम तोड़े ।
जो घूम रहा मन सतत व्यर्थ ।
उस मन के धोड़े को मोड़े ।
हो पहचान स्वयं की स्वयं से ।
दिल में यह भाव जगाएं हम ।
धर्म की ज्योति जला ले हम ।
अपना हित अपने द्वारा हो ।
एक लक्ष्य ऐसा हो हमारा ।
जब मिल जाये भीतर में उजियारा ।
मिट जाये सारा अंधियारा ।
दुसरों की उन्नति देखकर ।
कण – कण विकसाएं हम ।
धर्म की ज्योति जला ले हम ।
इच्छायें आकांक्षाये असीम होती ।
हो प्रतिपल सबका सीमांकन ।
समता क्षमता मृदुता से ओत- प्रोत ।
सुखमय जीवन बन जाएँ ।
आलस्य और प्रमोद को त्याग कर ।
सत्पथ पर हम बढ़ जाएं ।
धर्म की ज्योति जला ले हम ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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