Geet preet ki yahi reet hai
Geet preet ki yahi reet hai

प्रीत की यही रीत है

( Preet ki yahi reet hai )

 

 

मन से मन का मिलन ही दिल के तारों का संगीत है।
दिल से दिल जब मिले धड़कने गाती प्यारा गीत है।
प्रीत की यही रीत है

हद से ज्यादा हुई चाहत कोई सबसे प्यारा लगे।
चैन आ जाए मन को भी दिल का इकतारा बजे।
आभास हो मधुर एहसास लगता कोई मनमीत है ।
चेहरा चमन सा खिले प्रिय हृदय उमड़ती प्रीत है।
प्रीत की यही रीत है

लब थिरकने लगे मन मचलने लगे उमंगे हिलोरे लेती हो।
ख्वाबों खयालों में चेहरा हो धड़कने फिर गीत गाती हो।
दूर रहकर भी पास लगे दिल हारकर भी लगे यूं जीत है।
प्यार के नगमे सुहाने दिल से प्रिय प्रेम पथ की पुनीत है।
प्रीत की यही रीत है

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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