Maharana Pratap par Kavita
Maharana Pratap par Kavita

महाराणा प्रताप

( Maharana Pratap ) 

 

पिता जिनके राणाउदय सिंह,
और दादो सा राणा सांगा थे.
जयवन्ता बाई माता जिनकी,
प्रताप महाराणा कहलाएं थे।।

शिष्टता, दृढ़ता एवम् वीरता,
जिसकी प्रताप यें मिसाल थे।
मुगलके खिलाफ लड़नें वाले,
एक अकेले बहादूर योद्घा थे।।

अपनों के प्रेमी एवं देश-प्रेमी,
आज़ादी अलख जगाने वाले।
जीवन अंत तक संघर्ष करना’
ना आत्मसमर्पण करनें वाले।।

महा-रानी अजबदे के भरतार,
मिलकर वो भीलो के सरदार।
रचे अनेंक किस्से व इतिहास,
प्रताप बनें सभी के मददगार।।

विरोधियों का सामना किया,
हल्दी घाटी मैदान साक्षी रहा।
कई राजपूत उनके शत्रु हुएं,
पर मेवाड़ राज्य स्वतन्त्र रहा।।

अकबर के पास अपार सैना,
लेकिन युद्ध से प्रताप डरें ना।
साथ रहा चेतक जिनके घोड़ा,
महाराणा से डरी मुगल सेना।।

क़िस्से कहानी के किरदार हुएं,
सुपुत्र अमरसिंह बलवान हुएं।
जन्मे प्रताप दुर्ग-कुम्भलगढ़ में,
09 मई 1540 भारत वर्ष में।।

जीवन में किए अनेंंको ये युद्ध,
मिला न उन्हें कभी कोई सुख।
घायल भी अनेंक बार यह हुएं,
देश प्रेमी प्राण न्यौछावर किएं।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here