कुमार के मुक्तक | Kumar ke muktak
कुमार के मुक्तक
( Kumar ke muktak )
१
बहते हुए जल पे कभी काई नहीं आती,बिना उबले दूध पर मलाई नहीं आती।
थोङी बहुत शायरी तो सभी ...
बंजारा के मुक्तक | Banjara ke Muktak
मूर्खतंत्र
ईसा- पूर्व तो सबसे ऊपर -- मनु ही सरमाया था
फिर राजतंत्र के दौर में -- रक्त सबका गरमाया था
आखिरकार लोगों ने त्रस्त हो कर...
उमंगों की पतंगे उड़ाओ | Umang par kavita
उमंगों की पतंगे उड़ाओ
( Umangon ki patang udao )
उमंगों की पतंगे लेकर आओ मचाए हम भी शोर।
गली गली घूमते गाते चले आई है सुहानी...
खुशनसीब | Khushnaseeb
खुशनसीब
( Khushnaseeb )
खुशनसीब होते वो लोग जो हंसकर जी लिया करते हैं।
भोली मुस्कान रख चेहरे पर दिल जीत लिया करते हैं।
जवानी के मद में...
बसंत | Basant par Muktak
बसंत
( Basant )
आ गया मधुमास सुहाना चली मस्त बयार।
सर्दी को अलविदा कहने लगे सब नर नार।
फागुन महीना आया खिलने लगी धूप भी।
लगे पुष्प सारे...