Kavita Lote ki Jati
Kavita Lote ki Jati

लोटे की जाति

( Lote ki Jati )

एक दुकान पर,
बहुत से लोटे रखें हैं,
दुकान पर,
लोटा बस लोटा है,
उसकी कोई जाति नहीं है,
लेकिन मनुष्य ने,
लोटे की भी जाति बना दिया है,
अब जिस जाति का व्यक्ति,
लोटा खरीदेगा,
वह उस जाति का,
लोटा हो जाएगा।
मनुष्य के इस पागलपन पर,
लोटा भी मन ही मन,
मुस्कुराता है,
कही लोटे की भी जाति होती हैं,
होती हैं साहब,
भारत में होती हैं,
यहां विभिन्न जातियों के,
लोटे आपको मिल जाएंगे।
इस लोटे की जाति ने,
देश को हजारों वर्षों तक,
गुलामी की जंजीरों में जकड़ें रहा
लोटे की जाति है कि जातीं नहीं
इस हाइटेक युग में भी,
लोटे की जाति का रुतबा,
कम नहीं हुआ है,
कभी-कभी लोटे की जाति,
अपना अहम दिखा ही देता है,
क्या मजाल है कि आज भी,
कोई जाति का व्यक्ति,
उच्च जाति के लोटे को छू लें तो,
समझों उसके लिए,
पहाड़ टूट गया हो,
कभी-कभी तो ऐसे व्यक्ति की,
जान को भी खतरा हो जाता है।
होती हैं साहब,
इस देश में,
लोटे की भी जाति होती हैं।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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