Sabak
Sabak

सबक

( Sabak ) 

आज तकलीफ़ महसूस की कल भूल जाया करते हैं,
अच्छे बुरे वक़्त का सबक हम याद ही कहाँ रखते हैं,

चंद शहद में लिपटे ज़हर आलूदा जुमले में खो जाते,
झूठे ख़्वाब सजाते, हक़ीक़त से कहाँ वास्ता रखते हैं,

पल दो पल का साथ भी पूरी ज़िंदगी लगने लगती है,
कभी ता-उम्र साथ रहकर भी हम साथ कहाँ रहते हैं,

ज़रूरी नहीं बुरा वक़्त ही सबक सिखाए हमें,
अक्सर अच्छा वक़्त ही बेहतर सबक सिखा जाते हैं,

हर जानदार शय अच्छे बुरे वक़्त से सबक सिखते हैं,
हम इंसान सबक सिखकर भी नाअहल मरा करते हैं!

Aash Hamd

आश हम्द

( पटना )

यह भी पढ़ें :-

औरत | Aurat

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here