कर्मों का खेल | Kahani Karmo ka Khel
उम्र लगभग 80 पार हो चुकी थी। कमर झुकी हुई थी फिर भी बैठे-बैठे वह बर्तन धुल रहे थी। उसके इतनी भी हिम्मत नहीं...
मेरे देशवासियों | Dr. Suman Dharamvir Poetry
मेरे देशवासियों
हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें क्या?
मंदिर, मस्जिद, चर्च ,गुरुद्वारा और विहार ?
या
शांति ,चैन ,अमन खुशहाली ,और हरियाली?
हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें...
हम अपने कर्तव्य निभाएं | Kavita Hum Apne Kartavya Nibhaye
हम अपने कर्तव्य निभाएं
( Hum Apne Kartavya Nibhaye )
उठें सुबह फिर निपट नहाएं !
पोलिंग बूथ पर जाकर अपने !!
अपनो के संग वोट दे...
प्रवेशोत्सव कार्यक्रम सत्र 2024-25
"प्रवेशोत्सव कार्यक्रम" सत्र 2024-25
अब कदम बढ़ने लगें,राजकीय विद्यालयों की ओर
सहज सरस शिक्षण अधिगम,
भौतिक सुविधा युक्त परिवेश ।
शिक्षा संग सुसंस्कार अनुपमा,
नवाचार प्रविधि कक्षा समावेश ।
मोहक...
हवा में उड़ा दीजिए | Ghazal Hawa mein Uda Dijiye
हवा में उड़ा दीजिए
( Hawa mein Uda Dijiye )
साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए
शामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए
ग़म के सागर में डूबे न दिल...
सतपाल भीखी : विचार धारा और मानवीय मूल्यों से जुड़ा संवेदनशील...
मूल पंजाबी कविता --- सतपाल भीखी
अनुवाद --- डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक
सतपाल भीखी पंजाबी काव्य क्षितिज के एक जगमगाते सितारे हैं। उनकी कविताएं विचारधारात्मक प्रौढ़ता...
उगता सूरज | Kavita Ugta Suraj
उगता सूरज
( Ugta Suraj )
उगता सूरज हम सबको बस
यही बताता है!
हार न मानें ढलके भी फिर से
उग आना है!!
विमुख नहों कर्मों से अपने
कभी...
रात भर | Kavita Raat Bhar
रात भर
( Raat Bhar )
आकर भी आप करीब ठहरे नहीं क्यों पल भर
बढ़ी धड़कनों में चलती रही हलचल रात भर
गुजरती रही रात ,फ़लक...
अक्षय तृतीया : आखा तीज
अक्षय तृतीया : आखा तीज
अक्षय तृतीया पर्व पर इस जीवन को पावन बनाये ।
पापों व तापों के हैं घेरे उनको ढहाते हुए चले ।
संसार...
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर: राष्ट्र निर्माता एवं दलितों के मशीहा
प्रस्तावना:
भारतीय समाज के उत्थान और समानता के चिर स्मरणीय स्तम्भ के रूप में भीमराव अंबेडकर का नाम हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने न केवल...