Monthly Archives: May 2022
बाल कविता | Bal kavita
चिड़िया रानी
( Chidiya rani )
चिड़िया रानी हमारे घर पर आई
सब बच्चों के मन में खुशियां लाई।
दूब फूंस इकट्ठा कर बनाया घोंसला,
देख घोंसला खुशियां अपार...
कोई मुझसे रूठ रहा है | Kavita koi mujhse rooth raha...
कोई मुझसे रूठ रहा है
( Koi mujhse rooth raha hai )
कोई मुझसे रूठ रहा है वो प्रेम पुराना टूट रहा है।
वक्त की कैसी आंधी...
पाठक तुम कब आओगे | Geet pathak tum kab aaoge
पाठक तुम कब आओगे
( Pathak tum kab aaoge )
पड़ी किताबें पूछ रही है पाठक तुम कब आओगे
पुस्तकालय सूना लगता कब पुस्तक पढ़ पाओगे
कब होगी...
देखिये जो जड़ों से | Poem dekhiye jo jadon se
देखिये जो जड़ों से
( Dekhiye jo jadon se )
पेड़ बस वो ही सारे, सूखे हैं।
देखिये जो जड़ों से, रुखे हैं।।
कितना मायूस हो के लौटे...
चाहत | Poem chaahat
चाहत
( Chaahat )
हम हैं तेरे चाहने वाले, मन के भोले भाले।
रखते है बस प्रेम हृदय में, प्रेम ही चाहने वाले।
माँगे ना अधिकार कोई,ना माँगे...
पुस्तकों की पीर | Geet pustakon ke peer
पुस्तकों की पीर
( Pustakon ke peer )
कंप्यूटर क्या कहर ढा रहा मोबाइल मुस्काता है।
अलमारी में पड़ी किताबों को बहुत धमकाता है।
इतने सारे चैनल हुये...
बिन्दु | Kavita bindu
बिन्दु
( Bindu )
ग्रह नक्षत्र योग कला विकला दिग्दिगन्त हैं।
बिन्दु मे विलीन होते आदि और अंत हैं।।
अण्डज पिण्डज स्वेदज उद्भिज्ज सृजाया है,
बिंदु में नित रमण...
मुझको कोई फ़िक्र नहीं है | Poem mujhko koi fikar nahi...
मुझको कोई फ़िक्र नहीं है
( Mujhko koi fikar nahi hai )
मुझको कोई फ़िक्र नहीं है , रंजो गम से दूर हूँ
नींदें भी हैं कनीज ...
मैं मजदूर हूं | Kavita main majdoor hun
मैं मजदूर हूं
( Main majdoor hun )
मैं मजदूर हूं ,मैं मजदूर हूं
रोटी रोजी के खातिर
घर से कितनी दूर हूं
मेहनत करना मेरा काम
भाग्य में लिखा...
हंसना मना है | Kavita hasna mana hai
हंसना मना है
( Hasna mana hai )
मोबाइल टीवी चलाओ चाहे कूलर की हवा खाओ
बाहर धूप में मत जाओ सच कहता हूं मान जाओ
हजारों बीमारियां...