Monthly Archives: May 2022

तंबाकू तेरे कारण | Geet tambaku tere karan

तंबाकू तेरे कारण ( Tambaku tere karan )   रूठ गई है मुझसे अम्मा रूठा सारा परिवार घर का रहा ना घाट का में फिरता हूं लाचार तंबाकू तेरे...

दबे पैर | Kavita dabe pair

दबे पैर ( Dabe pair )   वो दबे पैर अंदर आयी जैसे बंद कमरों में ठंड की एक लहर चुपके से आ जाया करती है और बदल गयी...

पत्रकारिता दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

" पत्रकारिता दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन "  हिन्दी पत्रकारिता दिवस की पूर्व संध्या पर "अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम" (साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था) के तत्वावधान...

गली उसकी बहुत पहरा रहा है | Ghazal gali uski

गली उसकी बहुत पहरा रहा है ( Gali uski bahot pahra raha hai )    गली उसकी बहुत पहरा रहा है यहाँ माहौल कुछ ऐसा रहा है   बढ़ी है ...

कारें कजरारे नैना | Kare kajrare naina | Kavita

कारें कजरारे नैना ( Kare kajrare naina )   काली आंखें तिरछे नैना दमक रहा आनन सारा प्रीत भरी इन आंखों में झलक रही प्रेम रसधारा   झील सी आंखें...

कमी दिल में | Ghazal kami dil mein

कमी दिल में ( Kami dil mein )    कमी दिल में तुम्हारी ही यहाँ हो सनम मेरे चले आओ जहाँ हो   ख़ुशी के फूल क्या मुझपर बरसेंगे यहाँ  तो...

मेरे मन का शोर | Mere mann ka shor | Kavita

मेरे मन का शोर ( Mere mann ka shor )   विचारों की उथल-पुथल उमड़ा मेरे मन का शोर कल्पनाओं ने उड़ान भरी आया भावों का दौर   भावो का...

मानव तन | Manav tan | Chhand

मानव तन ( Manav tan )मनहरण घनाक्षरी    नश्वर सी यह काया, तन को हमने पाया। देह गात स्वरूप को, दाग ना लगाइए।   कंचन सी काया मिली, पंचतत्वों का शरीर। मानव तन भाग्य...

बस वो बिकी नहीं | Poem bas wo biki nahi

बस वो बिकी नहीं ( Bas wo biki nahi )   श्रृंगार की गजल कोई, हमने लिखी नहीं। सूरत हुजूरे दिल की, जबसे दिखी नहीं ॥  बिक गई थी...

दिव्य अनुभूति | Divya anubhuti | Chhand

दिव्य अनुभूति ( Divya anubhuti )मनहरण घनाक्षरी   साधना आराधना से, दिव्य अनुभूति पाई। त्याग तप ध्यान योग, नित्य किया कीजिए‌।   हरि नाम सुमिरन, जपो नित अविराम। राम राम राम राम, भज लिया कीजिए।   मंदिर...