Monthly Archives: August 2022

शांतिदूत | Poem shantidoot

शांतिदूत ( Shantidoot )   शांति दूत सृष्टि नियंता माधव हस्तिनापुर आए खबर फैल गई दरबारों में मैत्री का संदेशा लाए   महारथियों से भरी सभा स्वागत में दरबार सजा दिया...

ज़मीर | Poem zameer

ज़मीर ( Zameer )   आज फिर से ज़मीर का इक सवाल उठाती हूं मंचासीन के कानों तक ये आवाज़ पहुंचाती हूं   उनके स्वार्थ से बुझ गए हैं कुछ...

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है | Ghazal-e-ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है ( Phool sa ik shakhs mujhko chahta hai )    फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है पर किसी पत्थर से...

तुम्हारा घर भी जल जाएगा |Tumhara ghar bhi jal jayega

तुम्हारा घर भी जल जाएगा ( Tumhara ghar bhi jal jayega )    तुम्हारा घर भी जल जाएगा , क्यों हो आग लगाते ।   नासमझ बन जाने की जिद, उन्हे...

हे! भारत के इंसान जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं |...

*हे! भारत के इंसान जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं।" ( He! Bharat ke insan jago, main tumhe jagane aya hoon )    हे! भारत के इन्सान...

ऐसे रंग भरो | Aise rang bharo | Kavita

ऐसे रंग भरो ( Aise rang bharo )   दिक्-दिगंत तक कीर्ति-गंध से सुरभित पवन करो ! दमक उठे जननी का आंचल , ऐसे रंग भरो !!   झिलमिल-झिलमिल उड़े...

जैसे तुम हो पास कही | Jaise tum ho paas kahin

जैसे तुम हो पास कही ( Jaise tum ho paas kahin )   ऐसा क्यो महसूस हो रहा, जैसे तुम हो पास कही। तेरे तन की खूशबू लगता'...

प्रकृति | Prakriti par Kavita

प्रकृति ( Prakriti )   इस प्रकृति की छटा है न्यारी, कहीं बंजर भू कहीं खिलती क्यारी, कल कल बहती नदियां देखो, कहीं आग उगलती अति कारी।   रूप अनोखा इस धरणी...

ये क्या अजब दास्तां बन गई | Dastan shayari

ये क्या अजब दास्तां बन गई ( Ye kya ajab dastan ban gayi )   ये क्या अजब दास्तान बन गई , खव्वाहिशे उसकी मेरे अरमान बन गई...

वो मुझे देखकर मुस्कुराते रहे | Muskurahat Shayari

वो मुझे देखकर मुस्कुराते रहे ( Wo mujhe dekh kar muskurate rahe )वज़न: फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन    इश्क बनके वो दिल में समाते रहे वो मुझे देखकर...