Sweater par kavita
Sweater par kavita

ठंड में आई याद स्वेटर की

( Thand mein aayi yaad sweater ki )

 

ठंड में आई है मुझको याद स्वेटर की,
जिसके बिना हमारी ठंड नही रुकती।
इसमें हमारी मां का प्यार, आशीर्वाद,
जिसके बिन हमारी सर्दी नही कटती।।

इस मौसम ने बदल लिया है मिजाज,
हमनें निकाली अपनी स्वेटर ये आज।
इस ठंडी से हमें यह स्वेटर ही बचाती,
यह जान से प्यारी अनेंक इसके राज।।

मुलायम ऊन की यह स्वेटर है हमारी,
बहुत ही निराली और है प्यारी प्यारी।
पिरोकर सलाइयों से बनाया जिसको,
वो मम्मी थी हमारी ऐसी प्यारी प्यारी।।

यह है निशानी मेरी माताजी की ऐसी,
इस ठंडी में जिसकी कद्र बहुत होती।
अकेलेपन का एहसास हमें है कराती,
सर्दी में मुझको यह बहुत रास आती।।

इसके रोम-रोम में हमको मां दिखती,
डिज़ाइन सोचती एवं बुनती ही रहती।
गर्म ऊन से ऐसे सजाकर उसे बनाया,
अपनेपन का यह अहसास है कराती।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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