Admin

Admin
6016 POSTS 3 COMMENTS

धरती की वेदना | Dharti ki vedana

धरती की वेदना ( Dharti ki vedana )   सुनो तुम धरती की वेदना समझो पहले इसे तुम यहां! ऋतुएं बदल रही है क्यों आखिर क्यों तापमान रहने लगा बढ़ा...

जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है | Jab Seene mein

जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है ( Jab seene mein toofan dabana parta hai )   जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है हर दिल में इंसान...

गणगौर का पर्व | Gangaur par Kavita

गणगौर का पर्व ( Gangaur ka parv)    यह दो शब्दों से जुड़कर बना ऐसा पावन-पर्व, विवाहित कुॅंवारी लड़कियाॅं करती इसपर गर्व। गण से बने भोलेशंकर गौर से बनी...

शब्दों का शिल्पकार हूं | Shabdon ka Shilpkar

शब्दों का शिल्पकार हूं ( Shabdon ka shilpkar hoon )   वाणी का आराधक हूं मैं, देशप्रेम भरी हुंकार हूं। कलम का सिपाही भी, शब्दों का शिल्पकार हूं। शब्दों...

कमल खिलाना ही होगा | Kamal

कमल खिलाना ही होगा ( Kamal khilna hi hoga )    सकल जगत कल्याण हेतु तुमकों आगे आना होगा। हिन्दू हो हिन्दू के मन में, रिद्धंम जगाना ही...

राइफल हमारी साथी | Rifle par Kavita

राइफल हमारी साथी ( Rifle hamari sathi )    यही हमारी एक सच्ची साथी, दुश्मन का यह संहारक साथी। हार को जीत यह बना देती है, हमेशा हमारे संग रहती...

खुशनसीब | Khushnaseeb

खुशनसीब ( Khushnaseeb )    खुशनसीब होते वो लोग जो हंसकर जी लिया करते हैं। भोली मुस्कान रख चेहरे पर दिल जीत लिया करते हैं। जवानी के मद में...

नाजुक सा जनाब दिल | Dil Poem

नाजुक सा जनाब दिल ( Nazuk sa janab dil )   मिलन को बेताब दिल बुन रहा ख्वाब दिल। नाजुक सा जनाब दिल दमके महताब दिल। प्यार भरे मधुर...

आज सावन में | Sawan Shayari

आज सावन में ( Aaj sawan mein )    परिंदों की बड़ी हलचल मची है आज आंगन में। सुना है घोंसला बिखरा किसी का आज सावन में।। बनाकर कश्तियां...

दबी कुचली हुई कलम | Dabi Kuchli hui Kalam

दबी कुचली हुई कलम ( Dabi kuchli hui kalam )   दबी कुचली हुई कलम, कभी असर दिखा देगी। पीर गर बना सैलाब, सिंहासन सारा हिला देगी। कलम का...