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धरती की वेदना | Dharti ki vedana
धरती की वेदना
( Dharti ki vedana )
सुनो तुम धरती की वेदना
समझो पहले इसे तुम यहां!
ऋतुएं बदल रही है क्यों आखिर
क्यों तापमान रहने लगा बढ़ा...
जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है | Jab Seene mein
जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है
( Jab seene mein toofan dabana parta hai )
जब सीने में तूफान दबाना पड़ता है
हर दिल में इंसान...
गणगौर का पर्व | Gangaur par Kavita
गणगौर का पर्व
( Gangaur ka parv)
यह दो शब्दों से जुड़कर बना ऐसा पावन-पर्व,
विवाहित कुॅंवारी लड़कियाॅं करती इसपर गर्व।
गण से बने भोलेशंकर गौर से बनी...
शब्दों का शिल्पकार हूं | Shabdon ka Shilpkar
शब्दों का शिल्पकार हूं
( Shabdon ka shilpkar hoon )
वाणी का आराधक हूं मैं, देशप्रेम भरी हुंकार हूं।
कलम का सिपाही भी, शब्दों का शिल्पकार हूं।
शब्दों...
कमल खिलाना ही होगा | Kamal
कमल खिलाना ही होगा
( Kamal khilna hi hoga )
सकल जगत कल्याण हेतु तुमकों आगे आना होगा।
हिन्दू हो हिन्दू के मन में, रिद्धंम जगाना ही...
राइफल हमारी साथी | Rifle par Kavita
राइफल हमारी साथी
( Rifle hamari sathi )
यही हमारी एक सच्ची साथी,
दुश्मन का यह संहारक साथी।
हार को जीत यह बना देती है,
हमेशा हमारे संग रहती...
खुशनसीब | Khushnaseeb
खुशनसीब
( Khushnaseeb )
खुशनसीब होते वो लोग जो हंसकर जी लिया करते हैं।
भोली मुस्कान रख चेहरे पर दिल जीत लिया करते हैं।
जवानी के मद में...
नाजुक सा जनाब दिल | Dil Poem
नाजुक सा जनाब दिल
( Nazuk sa janab dil )
मिलन को बेताब दिल बुन रहा ख्वाब दिल।
नाजुक सा जनाब दिल दमके महताब दिल।
प्यार भरे मधुर...
आज सावन में | Sawan Shayari
आज सावन में
( Aaj sawan mein )
परिंदों की बड़ी हलचल मची है आज आंगन में।
सुना है घोंसला बिखरा किसी का आज सावन में।।
बनाकर कश्तियां...
दबी कुचली हुई कलम | Dabi Kuchli hui Kalam
दबी कुचली हुई कलम
( Dabi kuchli hui kalam )
दबी कुचली हुई कलम, कभी असर दिखा देगी।
पीर गर बना सैलाब, सिंहासन सारा हिला देगी।
कलम का...