बात सब मानी तुम्हारी हमने
बात सब मानी तुम्हारी हमने

बात सब मानी तुम्हारी हमने

( Baat Sab Mani Tumhari Hamne )

 

गुलों से जबसे की यारी हमनें।
रात रो रो कर गुजारी हमने।।

मुझको  ठुकराकर  जाने  वाले,
बात सब मानी तुम्हारी हमने।।

बावफा रह के क्या मिला मुझको,
मौत  की कर ली तैयारी हमने।।

दिल की बाजी भी लगाकर देखा,
हार  झेली  है  करारी  हमने।।

रात की नींद दिन का चैन गया,
पाल  ली  कैसी  बीमारी हमने।।

दिया उम्मीद का जला के शेष,
बिता  डाली  उम्र सारी हमने।।

 

कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )

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