
मैं प्यारी परी बिटिया
( Main pyari pari bitiya )
मैं चुलबुली छोटी सी हूं गुडियां,
मम्मी- पापा की प्यारी बिटियां।
लाड़-लड़ाएं गोदी और खटियां,
प्यार जताएं दादी लेके चुमियां।।
बुढ़ी दादी मुझको नाच दिखाएं,
अकुंश चाचा मुझे बहुत हंसाऐ।
हाथ पकड़ मुझे चलना सिखाएं,
दिनभर मुझपर ये प्यार लुटाएं।।
दादा खिलौने बहुत लेकर लाएं,
गोद उठाकर मुझे खूब खिलाएं।
दादी मुझे झूले में झूला झूलाएं,
लोरी सुनाकर मुझे नींद सुलाएं।।
बुआजी दोनों हमें तितली बनाएं,
रंग-बिरंगे हमको कपड़े पहनाएं।
मुझको उठाकर छत पर ले जाएं,
दोनो पकड़कर ये सैल्फी बनाएं।।
पापा की मुझे अब ये याद सताएं,
शाम- सुबह विड़ियो काॅल कराएं।
एक भी दिन कभी ऐसा ना जाएं,
फोन पकड़कर मम्मी बात कराएं।।
दादा एवं दादी नाना और ये नानी,
प्रेम करें चाचू अविनाश अभिजीत।
आज दादा बन गया हूँ मैं गणपत,
प्यार लुटाती कौशल दादी हरपल।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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