उगता सूरज | Kavita Ugta Suraj

उगता सूरज ( Ugta Suraj )   उगता सूरज हम सबको बस यही बताता है! हार न मानें ढलके भी फिर से उग आना है!! विमुख नहों कर्मों से अपने कभी...

हकीकत की भूल | Kavita Haqeeqat

हकीकत की भूल ( Haqeeqat ki Bhool )    संवरती नही कभी हकीकत की भूल नुमाइश की जिंदगी कागज के फूल बंजर जमीं के नीचे व्यर्थ बीज की गुणवत्ता लोभी नेता के...

कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm

कर्म से तू भागता क्यों ?   क्या बंधा है हाथ तेरेकर्म से तू भागता क्यों?पाव तेरे हैं सलामतफिर नहीं नग लांघता क्यों?नाकामियों ने है डरायावीर...

दर्पण ना समाए | Kavita Darpan na Samaye

दर्पण ना समाए  ( Darpan na Samaye ) रुप तेरा ऐसा दर्पण ना समाए मन ना उतराए भृकुटी ऐसी चांदनी चांद ना शरमाय गाल ऐसी लागी कनक ना चमकाय ओठ ऐसी रंगाय भौंरें ना...

वह पानी बेचता है | Kavita Wah Pani Bechta Hai

वह पानी बेचता है ( Wah Pani Bechta Hai )   इस बचपन में वह बेचता है पानी ट्रेन में, बस में, धूप में, फुटपाथ पर । वह बेचता है पानी- एक...

ओम प्रकाश लववंशी की कविताएं | Om Prakash Lovevanshi Hindi Poetry

तू चल तू अनजान भले हो पर तू चल चाहे राह तेरी टेढ़ी हो या सरल पर तू चल, चलेगा तो होगा सफल बैठकर यूं ही क्या निकलेगा हल, जिंदगी...

मै अयोध्या हूं | Kavita Main Ayodhya Hoon

मै अयोध्या हूं ( Main Ayodhya Hoon )   जम्बू द्वीप में जलते दीये आर्यावर्त की चमकती आभा बहते सरयू की निर्मल धारा मैं अयोध्या हूं ! स्कंद पुराण की कथा सुनाती रघुवंशियों की राजधानी होती प्रभु...

स्पृहा नीरव पथ पर, नेह अमिय स्पंदन

स्पृहा नीरव पथ पर,नेह अमिय स्पंदन   उर तरंग नवल आभा, प्रसून सदृश मुस्कान । परम स्पर्शन दिव्यता, यथार्थ अनूप पहचान । मोहक स्वर अभिव्यंजना, परिवेश सुरभि सम चंदन । स्पृहा नीरव...

तारों की महफ़िल | Kavita Taaron ki Mehfil

तारों की महफ़िल ( Taaron ki Mehfil )   जब शाम होने को होती है एक एक तारा निकल आता है, ज्यों ज्यों रात की शुरुआत होती...

मधुमय रस लहरा दे | Madhumay Ras Lahra de

मधुमय रस लहरा दे ( Madhumay Ras Lahra de )   नव-लय-छंद अलंकृत जननी मधुमय रस लहरा दे। वेद रिचाओं के आखर से रचना कर्म करा दे।। शब्द अर्थ का...