Mitti ki mahak
Mitti ki mahak

मिट्टी की महक

( Mitti ki mahak )

 

 

सोंधी सोंधी मीठी मीठी

भीनी भीनी पुरवाई

लहलहाती धरती

मिट्टी की महक आई

 

खुशहाली हर्ष भरा

मेरे देश की माटी में

उमंग उल्लास खुशी

सबके दिलों में छाई

 

दूर-दूर फैली कीर्ति

यश पताका देश की

माटी की खुशबूओं ने

जहां में धूम मचाई

 

याद बहुत आती है

मुझको मेरे गांव की

हरियाली वो खेतों की

फिर याद दिला गई

 

जिस माटी में जनमे

सीखा थोड़ा तुतलाना

मातृभूमि वंदन हो

बयार भीनी आ गई

 

देश विदेश सौरभ

दिल महकाती प्यारे

माटी की खुशबू जहां

मन में खुशियां छाई

 

मीठी मीठी बोली प्यारी

बहती है रसधार

देश प्रेम की महक

मेरे मन को भा गई

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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