सावन | Sawn par Kavita
सावन ( Sawan ) सावन सरस सुखमय सुधा बरसा रहा, कलियन के संग मधुकर बहुत हर्षा रहा।। नभ मेघ गर्जत दामिनी द्युतिया रही, प्रिय कंत केहि अपराध बस न आ रहा।। ज्येष्ठ की सूखी धरा तरुणित हुयी, मोरनी संग मोर बहु सुख पा रहा।। बारिश की शीतल बूंदें तन जला रही, हे…