विपदाओं के चक्रव्यूह

विपदाओं के चक्रव्यूह   बाधाएं तो आतीं हैं, औ आगे भी आएंगी ! अविचल बढ़ो मार्ग पर अपने खुद ही मिट जाएंगी !! विकट समस्याओं के सम्मुख तुम तनिक नहीं घबराना...

मन तो मन है | Kavita Man to Man Hai

मन तो मन है ( Man to Man Hai ) मन तो मन है, पर मेरे मन! मान, न कर नादानी। वल्गाहीन तुरंग सदृश तू, चले राह मनमानी। रे मन! मान,...

ओम प्रकाश लववंशी की कविताएं | Om Prakash Lovevanshi Hindi Poetry

तू चल तू अनजान भले हो पर तू चल चाहे राह तेरी टेढ़ी हो या सरल पर तू चल, चलेगा तो होगा सफल बैठकर यूं ही क्या निकलेगा हल, जिंदगी...

पतझड़ में होती, रिश्तों की परख

पतझड़ में होती, रिश्तों की परख मनुज जीवन अद्भुत प्रेहलिका, धूप छांव सदा परिवर्तन बिंदु । दुःख कष्ट सुख वैभव क्षणिक , आशा निराशा शाश्वत सिंधु । परिवार समाज...

अरुणोदय | Kavita Arunoday

अरुणोदय ( Arunoday )   सूरज ने अरूणिम किरणों से वातायन रंग डाला ! लगे चहकने पंछी नभ में अनुपम दृश्य निराला !! ताल तलैया नदी सरोवर मिल स्वर्णिम रस घोले! लगे...

पूर्ण विराम अंत नहीं | Kavita Purn Viram

पूर्ण विराम अंत नहीं ( Purn Viram Ant Nahi )   पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है सकारात्मक सोच प्रशस्त, नवल धवल अनुपम पथ । असफलता...

शेखर की कविताएं | Shekhar Hindi Poetry

शब्द मौन है अब; ----- नहीं सुनाई जाते शब्द सरस नहीं बताई जाते शब्द-संक्रमण नहीं गढ़ी जाते शब्द सरलता नहीं गंवाई जाते गीत रजनी नहीं सिखाई जाते संबंध सौम्य नहीं बनाई जाते दुआरी द्वारिका नहीं दिखाई जाते संस्कार सुदीर्घ नहीं दुहराई...

स्नेहका संचार | Kavita Sneh ka Sanchar

स्नेहका संचार ( Sneh ka Sanchar )   आदमी का मानवीय व्यवहार होना चाहिए ! हर हृदय में स्नेह का संचार होना चाहिए !! खिल सके अपना चमन, यह एकता के...

शाश्वत प्रश्न | Kavita Shaswat Prashn

शाश्वत प्रश्न ( Shaswat Prashn )   मैं कौन हूं आया कहां से हूं यहां ! यह नहीं मालूम, है पुन: जाना कहां !! किसलिए हैं आए जगमें, और फिर क्यौं...

गर्म हवाएं | Kavita Garm Hawayen

गर्म हवाएं ( Garm Hawayen )   बह रही हवाएं गर्म हैं मुश्किल है लू से बचकर रहना एक छत हि काफी नहीं तुम भी जरा संभलकर चलना उमस भरा...