दिखती नहीं | Ghazal Dikhti Nahi

दिखती नहीं ( Ghazal Dikhti Nahi )   ग़ालिबन उनके महल से झोपड़ी दिखती नहीं I इसलिए उनको शहर की मुफ़लिसी दिखती नहीं II लाज़िमी शिकवे शिकायत, ग़ौर...

शिकायत न शिकवा | Ghazal Shikayat na Shikwa

शिकायत न शिकवा ( Shikayat na Shikwa ) चलो अब रहा तुम से वादा हमारा, पलटकर ना तुमको देखेंगे दोबारा ! मुसीबत में डाले खुदी को खुद...

चुनावी दंगल | Kavita Chunavi Dangal

चुनावी दंगल ( Chunavi dangal ) देश चुनावी दंगल की चपेट में भाषणों,वायदों,कसमों के लपेट में मग्न हैं नेतागण लहरदार । जनता सुन रही मनभावन सम्बोधन टकटकी लगाए बैठे स्वप्नदर्शी की तरहा चुनावी हलचल की दलदल से...

वतन की ख़ातिर | Watan ki Khatir

वतन की ख़ातिर ( Watan ki Khatir )   वतन की ख़ातिर लड़ने चले हम मुहब्बत देश से इतनी करे हम मिटे देंगे अदू अपने वतन के अमन के...

समय के साथ | Kavita Samay ke Sath

समय के साथ ( Samay ke Sath )   रहता है वक्त जब मुट्ठी में तब बढ़ जाता है अभिमान कुंजी ताली हाथ में अपने दुनिया लगती धूल समान बदल...

मेघवाल समाज | Meghwal Community

मेघवाल समाज मेघवाल क़ौम बड़ी मेह़़नतकश अध्यात्मिक दयालू प्रवृति की सादगी पसंद हुनरमंद रही है पुरूष ऊनी सूती की बुनाई का काम एंव यदाकदा चमड़े...

श्रीगोपाल नारसन की कविताएं | Shreegopal Narsan Hindi Poetry

अंतरात्मा अंतरात्मा जो कहे वही कीजिए काम सबसे बड़ा जज वही वही बसे है राम अंतरात्मा में झांककर पहचान लीजिए स्वयं को सबसे बड़ा दर्पण वही वही बसे है चारो धाम माता पिता...

बदलते परिवार | Badalte Parivar

परिवार का सही मतलब तो पहले समझ में आता था। आजकल तो परिवार चार दिवारी में "हम दो हमारे दो" के बीच में सिमट...

रंग | Kahani Rang

कमर के नीचे मिनी स्कर्ट ,छह इंच ऊँची एड़ी को सेंडिल , कीमती जेवर ,चार इंच पेट दिखाती लाल रंग की टॉप और होठो...

बेटे भी दहलीज छोड़ चले

बेटे भी दहलीज छोड़ चले ऊंची शिक्षा पाने को जो रुख हवा का मोड़ चले। बेटियों की बात नहीं बेटे भी दहलीज छोड़ चले। कोचिंग क्लासेज हॉस्टल...