बरतरी | Bartari

बरतरी ( Bartari )   क़दमों को संभाल कर चलो भटक जाएंगे, सर झुकाए रखो चुनरी सरक जाएंगे, हम बेटियों को ही यह नसीहतें करते जाएंगे, बेटों को कहते...

भविष्यफल का मायाजाल | Kahani Bhavishyafal ka Mayajaal

दिनेश अक्सर समाज में व्याप्त कुरीतियों को देखकर उसका मन व्यथित रहता था। वह अक्सर इस प्रकार के समाज में फैले पाखंड को सुनता...

कर्मों का खेल | Kahani Karmo ka Khel

उम्र लगभग 80 पार हो चुकी थी। कमर झुकी हुई थी फिर भी बैठे-बैठे वह बर्तन धुल रहे थी। उसके इतनी भी हिम्मत नहीं...

मेरे देशवासियों | Dr. Suman Dharamvir Poetry

Pay Back to Society   Pay back to society When I was young. Cow & buffalo gave me milk. Hen gave me eggs. Sheep gave me woolen. Trees gave me fruits...

हम अपने कर्तव्य निभाएं | Kavita Hum Apne Kartavya Nibhaye

हम अपने कर्तव्य निभाएं ( Hum Apne Kartavya Nibhaye )   उठें सुबह फिर निपट नहाएं ! पोलिंग बूथ पर जाकर अपने !! अपनो के संग वोट दे...

प्रवेशोत्सव कार्यक्रम सत्र 2024-25

"प्रवेशोत्सव कार्यक्रम" सत्र 2024-25   अब कदम बढ़ने लगें,राजकीय विद्यालयों की ओर सहज सरस शिक्षण अधिगम, भौतिक सुविधा युक्त परिवेश । शिक्षा संग सुसंस्कार अनुपमा, नवाचार प्रविधि कक्षा समावेश । मोहक...

हवा में उड़ा दीजिए | Ghazal Hawa mein Uda Dijiye

हवा में उड़ा दीजिए  ( Hawa mein Uda Dijiye )   साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए शामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल...

सतपाल भीखी : विचार धारा और मानवीय मूल्यों से जुड़ा संवेदनशील...

मूल पंजाबी कविता --- सतपाल भीखी अनुवाद --- डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक सतपाल भीखी पंजाबी काव्य क्षितिज के एक जगमगाते सितारे हैं। उनकी कविताएं विचारधारात्मक प्रौढ़ता...

उगता सूरज | Kavita Ugta Suraj

उगता सूरज ( Ugta Suraj )   उगता सूरज हम सबको बस यही बताता है! हार न मानें ढलके भी फिर से उग आना है!! विमुख नहों कर्मों से अपने कभी...

रात भर | Kavita Raat Bhar

रात भर ( Raat Bhar )   आकर भी आप करीब ठहरे नहीं क्यों पल भर बढ़ी धड़कनों में चलती रही हलचल रात भर गुजरती रही रात ,फ़लक...