Monthly Archives: July 2022

भाग्यहीन | Poem bhagyaheen

भाग्यहीन ( Bhagyaheen )   कहाँ गए रणछोड द्रौपदी, पर विपदा अब भारी है। रजस्वला तन खुले केश संग,विपद में द्रुपद कुमारी है।   पूर्व जन्म की इन्द्राणी अब,श्रापित सी...

दिल का बहकना | Dil ka bahakna | Chhand

दिल का बहकना ( Dil ka bahakna )   मनहरण घनाक्षरी   दिलकश हो नजारे, कोई हमको पुकारे। लगे स्वर्ग से सुंदर, महकती वादियां।   दिल दीवाना हो जाए, दिल कहीं पे खो जाए। प्रीत के...

मन हो जब | Poem man ho jab

मन हो जब ( Man ho jab )   मन हो जब खोल लेना दरवाज़े आंखों के दिल के खड़ी दिखूंगी यूं ही इस पार फकीरन (जोगन) सी हाथ फैलाए रख देना कुछ लफ्ज़ महोब्बत के नफ़रत के रख लूंगी हाथ की...

नवलगढ़ के साहित्यकार कवि रमाकांत सोनी की कृति काव्य के स्वर्णिम...

जिज्ञासा प्रकाशन गाजियाबाद से प्रकाशित काव्य कृति काव्य के स्वर्णिम अक्षर का नवलगढ़ के साहित्यकार कवि रमाकांत सोनी पुस्तक का शीघ्र ही विमोचन करेंगे।...

दिल की महफिल सजाए बैठे हैं | Dil ki mehfil sajaye...

दिल की महफिल सजाए बैठे हैं ( Dil ki mehfil sajaye baithe hain )   भरी बरसात में आके आज हम नहाए बैठे हैं दिलवाले दिल की ये...

सोच समझकर बोल | Soch samajh kar bol | Geet

सोच समझकर बोल ( Soch samajh kar bol )   सोच समझकर बोल रे बंदे सोच समझकर बोल तिल का ताड़ बना मत बंदे मन की आंखें खोल   मीठी...

जिधर देखो लहू बिखरा हुआ है | Ek ghazal

जिधर देखो लहू बिखरा हुआ है ( Jidhar dekho lahoo bikhra hua hai )  जिधर देखो लहूँ बिखरा हुआ है नगर में आज फ़िर दंगा हुआ है  लगी...

इंसान की पहचान | Insan ki pehchan | Kavita

इंसान की पहचान ( Insan ki pehchan )   इंसान की पहचान, मानव रे जरा जान। औरों के दुख दर्द की, परवाह कीजिए।   मानव धर्म जान लो, कर्म को पहचान लो। इंसानियत ही...

सच कमजोर हो रहा है | Sach kamjor ho raha hai

सच कमजोर हो रहा है ( Sach kamjor ho raha hai )   सच में , सच कमजोर हो रहा है । झूठ का ही चारो तरफ शोर...

ज़रूरी तो नहीं | Zaroori to nahin

ज़रूरी तो नहीं ( Zaroori to nahin )   हर जज्बात एहसास दिलायेहर एहसास को अल्फाज़ मिल जायेउन अल्फाज़ों  को ज़बां मिल जायेहर ज़बां कुछ कह पायेबस तलबगारी हैमहज़ इक निगाह कीजो किताब-ए-दिल केहर सादा,स्याह पन्ना...