अखंड भारत | Akhand Bharat
अखंड भारत
( Akhand Bharat )
अखंड भारत , अद्भुत अनुपम नजारा
अनूप वंदन सनातन धर्म,
कर्म धर्म मोहक पावन ।
मानवता सदा श्री वंदित,
सर्वत्र समृद्धि बिछावन ।
स्नेह प्रेम...
महफिल | Mehfil
महफिल
( Mehfil )
महफिले आम न कर चाहत मे अपनी
लुटेरों की बस्ती मे न बसा घर अपना
बच के रह जरा ,बेरुखी जहां की नजर से
इस...
पालक | Paalak
पालक
( Paalak )
जीवित रहना तो उम्र गुजारना है
आपके जीवन का निष्कर्ष तो
कर्म और व्यवहार से ही
प्रतिपादित होता है.....
ऊंचा आसन या
प्रतिष्ठित कुल मे बनाम...
कहां हो मेरे पुरखों | Kahan ho Mere Purakhon
कहां हो मेरे पुरखों
( Kahan ho mere purakhon )
मैं आऊंगा नहीं कभी भी लौटकर यह ध्यान रखना,
चला गया हूं ध्यान रखना सदा के लिए...
घर का पूत कुंवारा डौलै | मारवाड़ी रचना
घर का पूत कुंवारा डौलै
घर का पूत कुंवारा डौलै, करै पाड़ोस्यां क फैरा।
नैणं मूंद अर आंधा होग्या, घर का बड़ा बडेरा।
फिरै कुंवारों च्यारूं चौखटां,...
आपकी सोच ही | Aapki Soch
आपकी सोच ही
( Aapki soch hi )
धाराओं मे बंटते रह जाने से
नाम मे कमी हो या न हो
महत्व घटे या न घटे,किंतु
प्रवाह के वेग...
गांधी जयंती | शास्त्री जयंती
गांधी जयंती/शास्त्री जयंती
( Gandhi Jayanti | Shastri Jayanti )
द्वि विभूति एक्य जयंती, हिंद धरा अति आह्लाद
दो अक्टूबर अद्भुत अनुपम,
द्वि महापुरुष अवतरण दिवस ।
प्रथम अहिंसा...
पथ पर आगे बढ़ना होगा | Path par Aage Badhna Hoga
पथ पर आगे बढ़ना होगा
( Path par aage badhna hoga )
चलें आंधियां चाहे जितना
धुसित कर दे सभी दिशाएं
पिघल चले अंगारे पथ पर
...
पहचान | Pehchan
पहचान
( Pehchan ) भीड़ मे शामिल जरूर हों
वह कार्य विशेष की एकता का प्रतीक है
किंतु ,आप भीड़ का नही
अपने उद्देश्य का हिस्सा बनें...
ऊंचाई
पताका उठाने से...
आखिर क्यों | Aakhir Kyon
आखिर क्यों
( Aakhir Kyon )
युगों से उठ रही थी आँधियाँ
न जाने क्यूं ओले बरसै
क्यूं तूफानों ने किया रुख मुझ पर,
क्यूं, आखिर क्यों ?
क्या ईश्वर...