घंटाघर की चार घड़ी | Poem ghanta ghar ki char ghadi

घंटाघर की चार घड़ी ( Ghanta ghar ki char ghadi )   घंटाघर की चार घड़ी, चारो में जंजीर पड़ी। जब वो घंटा बजता था, रेल का बाबू हंसता था।।   हंसता...

शीत | Hindi muktak

शीत ( Sheet )   सर्द हवाएं ठंडी ठंडी तन ठिठुरन सी हो जाती है कंपकंपी छूटती तन बदन में सर्दी खूब सताती है ठंडा माह दिसंबर का सर्दी...

जीवन की परिभाषा | Jeevan par Hindi kavita

जीवन की परिभाषा ( Jeevan ki paribhasha )   हां! हम हर बात को बोलते है डंके की चोट, नही है हमारे मन में किसी प्रकार की खोट। पीठ-...

क्या चाहती हो सुन्दर नारी | Geet in Hindi

क्या चाहती हो सुन्दर नारी ( Kya chahti ho sundar nari )   क्या चाहती हो सुंदर नारी विश्वास प्रेम से भरी हुई तुम राग प्रीत की मूरत हो जग...

दर्पण कभी झूठ नही बोलता | Darpan par kavita

 दर्पण कभी झूठ नही बोलता ( Darpan kabhi jhooth nahi bolta )   दर्पण कभी कोई झूठ नही बोलता,पक्षपात यें किसी से भी ना करता।जैसा है वैसा...

जाड़ा आया | Kavita Jada aaya

जाड़ा आया  ( Jada aaya )   आया जाड़ा की ऋतु प्यारा बदल गया है मौसम सारा फसल पाकि गय कटि गय धान ढोंइ अनाज लइ जाय किसान पड़य शीत खूब...

मेरे पिया फंसे है परदेश | Kavita mere piya phase hain...

मेरे पिया फंसे है परदेश ( Mere piya phase hain pradesh )     मेरे पिया फंसे है परदेश, वहां से दिया है मुझे निर्देश। बाहर का खाना नही खाना...

ऊन का चोला | Ooni kapda par kavita

ऊन का चोला ( Oon ka chola)    यह बदन है सभी का भैया मिट्टी का ढेला,ना जानें कब हो जाऍं किसका फिसलना।शर्म ना कर प्राणी पहन...

हृदय की पीर लेखनी | Lekhni par kavita

हृदय की पीर लेखनी ( Hrdaya ki peer lekhni )    जब हृदय की पीर कागज पे भावों से बहकर आती है कलम की धार बने कविता दिल...

रोम-रोम में बसे हो भगवान जगन्नाथ | Bhagwan Jagannath par kavita

रोम-रोम में बसे हो भगवान जगन्नाथ ( Rom-rom mein base ho Bhagwan Jagannath )   हमारे रोम-रोम में बसे हो भगवान आप जगन्नाथ, हिंदुओं के चारधाम में एक...