मेरी जिंदगी में तू बहार बनकर आई है

मेरी जिंदगी में तू बहार बनकर आई है   खिल उठा मन मेरा, खुशियों की घड़ियां छाई है। जब से मेरी जिंदगी में तू, बहार बनकर आई...

परिया बाबा | Kahani Pariya Baba

चीनू, मीनू , रामू, दिनेश , भोलू और टीनू पांच से दस वर्ष के बच्चे हाथों में गेंद उठाये शोर मचाते हुए घरों से...

पिता का अस्तित्व | Kavita Pita ka Astitva

पिता का अस्तित्व ( Pita ka Astitva )   पिता पी ता है गम जिंदगी के होती है तब तैयार कोई जिंदगी गलकर पी जाता है स्वप्न पिता बह...

सागर पांव पखारे | Kavita Sagar Paon Pakhare

सागर पांव पखारे ( Sagar Paon Pakhare )   मस्तक पर है मुकुट हिमालय, सागर पांव पखारे ! गोदी में खेले राम, कृष्ण, अवतार लिए बहु सारे !! भारत मां का...

जंगल मे | Laghu Katha Gungle Mein

कोई एक शब्द भी नहीं बोलेगा। मैने अभी-अभी किसी बाघ की आहट सुनी है और उसके पैरों के ताजा निशान देखकर आ रहा हूं,...

नारी स्वरूप | Kavita Nari Swaroop

नारी स्वरूप ( Nari Swaroop )   नारी तू एक मगर रूप अनेक। नारी तुम्हारी हाथों में , घर बाहर दोनों सुसज्जित । मां काली सदृश नारी शक्तिशाली , महालक्ष्मी...

फेसबुक | Facebook par Kavita

फेसबुक ( Facebook ) फेसबुक ,सामाजिक संवाद का अवतारवर्तमान समय प्रौद्योगिकी, मनुज जीवन अभिन्न अंग । भौगोलिक सीमाएं विलोपित, वसुधैव कुटुंबकम् मंत्र संग । मार्क जुकरबर्ग परम योगदान, श्री गणेश बेला...

जनता जनार्दन | Kavita Janta Janardan

जनता जनार्दन ( Janta Janardan ) भोली भाली जनता भटक रही इधर उधर सीधी सादी जनता अटक रही इधर उधरबहुरुपिए बहका रहे बार-बार भेष बदल जाति जाल...

त्रिकालदर्शी बाबा | Kahani Trikaldarshi Baba

भारतीय समाज में पाखंड और अंधविश्वास इतना फैला है कि कौन सच्चा कौन झूठा इसका निराकरण करना बड़ा मुश्किल है। ऐसे लोग समाज में...

दिखती नहीं | Ghazal Dikhti Nahi

दिखती नहीं ( Ghazal Dikhti Nahi )   ग़ालिबन उनके महल से झोपड़ी दिखती नहीं I इसलिए उनको शहर की मुफ़लिसी दिखती नहीं II लाज़िमी शिकवे शिकायत, ग़ौर...