नव-सभ्यता | Kavita Nav Sabhyata
नव-सभ्यता
( Nav Sabhyata )
नव सभ्यता की
मजार में
फटी चादर का
रिवाज है
आदिम जीवन की
आवृत्ति में
शरमों -हया की
हत्या है
प्रेम-भाव के
विलोपन में
तांडव का
नर्तन है
मशीनी मानव की
खोज में
मां-बेटियां
नीलाम...
नारी मन | Kavita Nari Man
नारी मन
( Nari Man )
नारी मन, प्रेम का दिव्य दर्पण
परम माध्य सृष्टि सृजन,
परिवार समाज अनूप कड़ी ।
सदा उत्सर्गी सोच व्यंजना,
पर आनंद हित सावन...
स्मृति शेष | Kavita Smriti Shesh
स्मृति शेष
( Smriti Shesh )
हे धरा के पंथी नमन तुम्हें
हे धरा के पंथी नमन तुम्हें
घर छूटा मिला गगन तुम्हें।
तुम चले गए हमें छोड़कर
कहे...
मधुमय रस लहरा दे | Madhumay Ras Lahra de
मधुमय रस लहरा दे
( Madhumay Ras Lahra de )
नव-लय-छंद अलंकृत जननी
मधुमय रस लहरा दे।
वेद रिचाओं के आखर से
रचना कर्म करा दे।।
शब्द अर्थ का...
अगर तू जो एक किताब है
अगर तू जो एक किताब है
तुम्हें पढ़ना चाहता हूं
तेरे हर एक पन्ने को
अगर तू जिंदगी है
जीना चाहता हूं
आहिस्ता-आहिस्ता पूरी उम्र
अगर तू फूल है
तो मैं...
भोर तक | Kavita Bhor Tak
भोर तक
( Bhor Tak )
लोग तो बदल जाते हैं मौसम का रंग देखकर
मगर तुम न बदलना कभी मेरा वक्त देखकर
बड़े नाज़ों से पाला...
आसमान तक पहुंच हो
आसमान तक पहुंच हो
आसमान तक पहुंच हो, धरती पर हो पांव।
कर लो शुभ कर्म ऐसे, रोशन हो जाए गांव।
कीर्ति पताका नभ छाए, दुनिया में...
जय-जय मतदाता | Kavita Jay Jay Matdata
जय-जय मतदाता
( Jay Jay Matdata )
जय-जय मतदाता, पढ़ उनका बही-खाता,
नेता होते सयाने, नेता होते सयाने,
तू देश का निर्माता…..जय-जय मतदाता..
जय-जय मतदाता, पढ़ उनका बही-खाता,
नेता...
आओ बेवजह बातें करें | Kavita Aao Bewajah Baat Karen
आओ बेवजह बातें करें
( Aao Bewajah Baat Karen )
आओ बैठो बेवजह बातें करते हैं।
जीवन में कुछ सुनहरे रंग भरते हैं।
मुस्कुराता चेहरा चमक सा...
अंतर लहरें उठ रही हैं, नेह के स्पंदन में
अंतर लहरें उठ रही हैं, नेह के स्पंदन में
मन गंगा सा निर्मल पावन,
निहार रहा धरा गगन ।
देख सौम्य काल धारा,
निज ही निज मलंग मगन...