संसार | Sansar par Kavita

संसार ( Sansar ) ईश्वर तेरे संसार का बदल रहा है रूप-रंग, देख सब हैं चकित और दंग। क्षीण हो रहा है वनों का आकार, जीवों में भी दिख...

मां

मां   मां एक अनबूझ पहेली है, मां सबकी सच्ची सहेली है, परिवार में रहती अकेली है, गृहस्थी का गुरुतर भार ले ली है। ऐ मां पहले बेटी,फिर धर्मपत्नी, बाद में...

स्वर्ग-नर्क | Poem in Hindi on Swarg narak

स्वर्ग- नर्क ( Swarg - Narak )   स्वर्ग है या नर्क है कुछ और है ये। तूं बाहर मत देख तेरे ठौर है ये।। तेरे मन की हो...

ग़र ना होती मातृभाषा | Matribhasha Diwas Par Kavita

ग़र ना होती मातृभाषा ( Gar na hoti matribhasha )     सोचो    सब-कुछ    कैसा  होता, ग़र     ना     होती   मातृभाषा ।।   सब     अज्ञानी    होकर    जीते जग-जीवन     का   बौझा  ढोते, किसी  विषय  को  ...

भिखारी | Hindi Poem on Bhikhari

भिखारी ( Bhikhari )    फटे पुराने कपड़ों में मारे मारे फिरते हैं भिखारी, इस गांव से उस गांव तक इस शहर से उस शहर तक न जाने कहां कहां ? फिरते...

हिन्दी मे कुछ बात है | Short Poem on Hindi Diwas

हिन्दी मे कुछ बात है ( Hindi me kuch baat hai )    हिन्दी दिवस पर विशेष  (कविता) हिन्दी अपनी मातृभाषा, हिन्दी में कुछ बात है! हिन्दी बनी राष्ट्र भाषा, भारत...

पीर हमरे करेजवा में आवल करी | Bhojpuri Kavita in Hindi

पीर हमरे करेजवा में आवल करी (भोजपुरी-इलाहाबादी) गीत जब केउ सनेहिया क गावल करी। पीर हमरे करेजवा में आवल करी।। माया क जहान प्रेम सत्य क निशनवां, प्रेम की...

भूख | Bhookh Par Kavita

भूख ( Bhookh )   मैं भूख हूं, मैं मिलती हूं हर गरीब में अमीर में साधू संत फकीर में फर्क बस इतना किसी की पूरी हो जाती हूं कोई मुझे...

उसका मुकद्दर यू रूठ गया

उसका मुकद्दर यू रूठ गया 1. उसका मुकद्दर यू रूठ गया , बकरा कसाई हाथ लग गया। 2. वो दिल में आ बत्तियां बुझा नभाक कर गया, कोई जुगनू पकड़ दामन फिर...

चीर हरण | Cheer Haran Par Kavita

चीर हरण ( ककहरा ) ( Cheer haran )   कुरुवंश सुवंश में आगि लगी कुरुपति द्युत खेल खेलावत भारी।    खेलने बैठे हैं पांच पती दुर्योधन चाल चलइ ललकारी।    गुरुता गुरु...