![Kam Log hain Aise Kam Log hain Aise](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2023/08/Kam-Log-hain-Aise-696x463.jpg)
कम लोग हैं ऐसे
( Kam log hain aise )
ख़ुदा मानें जो उल्फ़त को बहुत कम लोग हैं ऐसे
करें जो इस इबादत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
न हिन्दू कोई ख़तरे में न मुस्लिम को है डर कोई
जो समझें इस सियासत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
शिवाले में जो हाज़िर है,वो ही मौजूद मस्जिद में
जो मानें इस सदाक़त को बहुत कम लोग हैं ऐसे
अजब सा ख़ौफ़ तारी है बहुत दिन से फ़ज़ाओं में
करें जो दूर दहशत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
बहुत तादाद है उनकी,जो फैलाते हैं नफ़रत को
जो फैलायें मुहब्बत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
नहीं है दूर तक बारिश,जलाता है बदन सूरज
जो सह लें इस तमाज़त को बहुत कम लोग हैं ऐसे
मिला गोमांस मन्दिर में,मिला खिंजीर मस्जिद में
जो समझें इस शरारत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
ख़ुदा ने ज़िंदगी बख़्शी मुहब्बत के लिये सबको
जो समझें इस इनायत को बहुत कम लोग हैं ऐसे
मुसीबत में ‘अहद’ अब तो मदद करता नहीं कोई
दिखायें जो सख़ावत को बहुत कम लोग हैं ऐसे !