जंगल मे | Laghu Katha Gungle Mein
कोई एक शब्द भी नहीं बोलेगा। मैने अभी-अभी किसी बाघ की आहट सुनी है और उसके पैरों के ताजा निशान देखकर आ रहा हूं,...
नारी स्वरूप | Kavita Nari Swaroop
नारी स्वरूप
( Nari Swaroop )
नारी तू एक मगर रूप अनेक।
नारी तुम्हारी हाथों में ,
घर बाहर दोनों सुसज्जित ।
मां काली सदृश नारी शक्तिशाली ,
महालक्ष्मी...
फेसबुक | Facebook par Kavita
फेसबुक
( Facebook )
फेसबुक ,सामाजिक संवाद का अवतारवर्तमान समय प्रौद्योगिकी,
मनुज जीवन अभिन्न अंग ।
भौगोलिक सीमाएं विलोपित,
वसुधैव कुटुंबकम् मंत्र संग ।
मार्क जुकरबर्ग परम योगदान,
श्री गणेश बेला...
जनता जनार्दन | Kavita Janta Janardan
जनता जनार्दन
( Janta Janardan )
भोली भाली जनता भटक रही इधर उधर
सीधी सादी जनता अटक रही इधर उधरबहुरुपिए बहका रहे बार-बार भेष बदल
जाति जाल...
त्रिकालदर्शी बाबा | Kahani Trikaldarshi Baba
भारतीय समाज में पाखंड और अंधविश्वास इतना फैला है कि कौन सच्चा कौन झूठा इसका निराकरण करना बड़ा मुश्किल है। ऐसे लोग समाज में...
दिखती नहीं | Ghazal Dikhti Nahi
दिखती नहीं
( Ghazal Dikhti Nahi )
ग़ालिबन उनके महल से झोपड़ी दिखती नहीं I
इसलिए उनको शहर की मुफ़लिसी दिखती नहीं II
लाज़िमी शिकवे शिकायत, ग़ौर...
शिकायत न शिकवा | Ghazal Shikayat na Shikwa
शिकायत न शिकवा
( Shikayat na Shikwa )
चलो अब रहा तुम से वादा हमारा,
पलटकर ना तुमको देखेंगे दोबारा !
मुसीबत में डाले खुदी को खुद...
चुनावी दंगल | Kavita Chunavi Dangal
चुनावी दंगल
( Chunavi dangal )
देश चुनावी दंगल
की चपेट में
भाषणों,वायदों,कसमों
के लपेट में
मग्न हैं
नेतागण लहरदार ।
जनता सुन रही
मनभावन सम्बोधन
टकटकी लगाए बैठे
स्वप्नदर्शी की तरहा
चुनावी हलचल की
दलदल से...
वतन की ख़ातिर | Watan ki Khatir
वतन की ख़ातिर
( Watan ki Khatir )
वतन की ख़ातिर लड़ने चले हम
मुहब्बत देश से इतनी करे हम
मिटे देंगे अदू अपने वतन के
अमन के...
समय के साथ | Kavita Samay ke Sath
समय के साथ
( Samay ke Sath )
रहता है वक्त जब मुट्ठी में
तब बढ़ जाता है अभिमान
कुंजी ताली हाथ में अपने
दुनिया लगती धूल समान
बदल...