हम सबके सियाराम
हम सबके सियाराम
विराजे अयोध्या धाम देखो
हम सबके सियाराम ।
गर्वित हो गया हिंदोस्तान
देखो हम सबके सियाराम ।
मर्यादा का पालन करते दोष दूसरो पर न धरते...
नव-सभ्यता | Kavita Nav Sabhyata
नव-सभ्यता
( Nav Sabhyata )
नव सभ्यता की
मजार में
फटी चादर का
रिवाज है
आदिम जीवन की
आवृत्ति में
शरमों -हया की
हत्या है
प्रेम-भाव के
विलोपन में
तांडव का
नर्तन है
मशीनी मानव की
खोज में
मां-बेटियां
नीलाम...
इतिहास | Kavita Itihas
इतिहास
( Itihas )
उड़ती हैं नोट की गड्डियाँ भी
दरख़्त के सूखे पत्तियों की तरह
होती है नुमाइश दौलत की
फ़लक पे चमकते सितारों की तरह
बेचकर इमां...
सबको मतदान करना पड़ेगा | Purnika Sabko Matdan Karna Padega
सबको मतदान करना पड़ेगा
बात मानो हमारी सारी जनता।
वोट डालने तो जाना पड़ेगा।।
ये जो अधिकार सबको मिला है।
यही कर्तव्य निभाना पड़ेगा।।
चाहे लाखों हों काम वोट...
परंपरा | Kavita Parampara
परंपरा
( Parampara )
यह कैसी परंपरा आई, दुश्मन हो रहे भाई-भाई।
घर-घर खड़ी दीवारें घनी, मर्यादा गिर चुकी खाई।
परंपराएं वो होती, संस्कारों की जलती ज्योति...
चुनाव परीक्षा पर्व | Kavita Chunav Pariksha Parv
चुनाव परीक्षा पर्व
( Chunav Pariksha Parv )
कल चुनाव परीक्षा पर्व है
हमारा आप पर गर्व हैतैयारी करो तन मन से
उत्तीर्ण होना परीक्षा पर्व हैमानस बना...
रात भर | Kavita Raat Bhar
रात भर
( Raat Bhar )
आकर भी आप करीब ठहरे नहीं क्यों पल भर
बढ़ी धड़कनों में चलती रही हलचल रात भर
गुजरती रही रात ,फ़लक...
बंजारा की दो नयी कविताएँ
बंजारा की दो नयी कविताएँ
( 1 )
देवता कभी
पत्थरों में खोजे गये और तराशे गयें
देवता कभी
मिट्टी में सोचे गये और ढ़ाले गयें
देवता कभी
प्लास्टिक में देखे...
युद्ध के दौरान कविता | Yuddh ke Dauran Kavita
युद्ध के दौरान कविता
( Yuddh ke Dauran Kavita )
रात के प्रवाह में बहते हुए अक्सर
अचेत-सा होता हूं
छूना चाहता हूं --
दूर तैरती विश्व-शांती की...
अगर तू जो एक किताब है
अगर तू जो एक किताब है
तुम्हें पढ़ना चाहता हूं
तेरे हर एक पन्ने को
अगर तू जिंदगी है
जीना चाहता हूं
आहिस्ता-आहिस्ता पूरी उम्र
अगर तू फूल है
तो मैं...