बेसुरी बांसुरी | Kavita Besuri Bansuri

बेसुरी बांसुरी ( Besuri bansuri )  क्यों बनाते हो जीवन कोबेसुरी सी बांसुरीफूंक कर सांसों को देखोसुर भरी है राग री। चार  दिनों की चांदनी हैफिर अधेरी...

अपने अपने राम | Kavita Apne Apne Ram

अपने अपने राम ( Apne Apne Ram )    अपने अपने राम भजे सब मन में मोतीराम हुए। मार कुंडली रावण बैठा खुद ही राजा राम हुए। मर्यादा का...

जलेबी | Jalebi par Kavita

जलेबी ( Jalebi)    हुस्न-ओ-शबाब से कसी है जलेबी, गर्म आँच पे खूब तपी है जलेबी। तुर्को ने लाया भारत में देखो, लज्जत जिन्दगी की बढ़ाती जलेबी। व्यंग्य से भरी है...

मंदिर बनने वाला है | Kavita Mandir Banne Wala Hai

मंदिर बनने वाला है ( Mandir banne wala hai )    मन धीर धरो क्यो आतुर हो,अब शुभ दिन आने वाला है। साकेत की दिव्य धरा पर फिर...

हमारे राम | Ram Ji par Kavita

हमारे राम ( Hamare ram )   सुकून-ओ-चैन का पैगाम, देने हमें आते हैं राम। भाई से भाई का रिश्ता, निभाने आते हैं राम। दिखता यहाँ कोई मायावी रावण, वध उसका...

समय | Samay par Kavita

समय ( Samay )    मूल्यवान है समय की कीमत  इसको    व्यर्थ   गवाओं   ना    समय  समय पर डोले धरती  समय  पर  सूरज  चांद  उगे   समय  समय  पर चले हवाएं   समय ...

कोई ऐसी गजल लिखूं | Poem Koi aisi Ghazal likhoon

कोई ऐसी गजल लिखूं ( Koi aisi ghazal likhoon )    कोई ऐसी गजल लिखूं, वो प्रेम सितारा हो जाए। अपनापन अनमोल बरसे, नेह की धारा हो जाए। रच...

दुपहरिया | Dupaharia par Kavita

दुपहरिया ( Dupaharia )   तमतमाती चमक लपलपाती लपक लू की गर्म हवाएं बहती दायें बायें छांव भी गर्म पांव भी नर्म जल उठते थे नंगे जब चलते थे।दुपहरिया को क्या पता? गरीबी है एक...

भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही | Kavita Bhujang hua Badnam

भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही ( Bhujang hua badnam vyarth hi )    भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही अजगर पाले बैठे हैं। जहर उगल रहा है आदमी घट...

धूप सेंकने वो आती नहीं | Poem Dhoop Sekne

धूप सेंकने वो आती नहीं! ( Dhoop sekne wo aati nahi )    आओ कुछ काम करें हम भी जमाने के लिए, कोई रहे न मोहताज अब मुस्काने...